भारत में आपसी सहमति से तलाक आजकल काफी सामान्य हो गया है। जब पति-पत्नी यह मान लेते हैं कि उनका साथ अब संभव नहीं है, तो वे अदालत के समक्ष एक संयुक्त याचिका दायर कर तलाक ले सकते हैं। लेकिन सबसे बड़ा प्रश्न यह उठता है – क्या आपसी सहमति से तलाक के बाद भी पत्नी भरण-पोषण का दावा कर सकती है? Advocate Prakhar Gupta Explains
इस सवाल का जवाब सीधे हां या ना में नहीं है। यह पूरी तरह इस बात पर निर्भर करता है कि तलाक की प्रक्रिया में पति-पत्नी के बीच समझौता किस तरह हुआ था, और उसमें भरण-पोषण को लेकर क्या शर्तें रखी गई थीं।
भारतीय कानूनों में पत्नी का भरण-पोषण अधिकार
भारत में पत्नी का भरण-पोषण का अधिकार कई कानूनों के तहत सुरक्षित है। चाहे वह हिंदू विवाह अधिनियम, 1955, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) धारा 125, भारतीय तलाक अधिनियम, 1869, या पारसी विवाह एवं तलाक अधिनियम, 1936 हो – सभी में यह प्रावधान है कि पत्नी (और कभी-कभी पति भी) तलाक के बाद भरण-पोषण का दावा कर सकते हैं।
लेकिन जब बात आपसी सहमति से तलाक की आती है, तो कई बार अदालतें यह देखती हैं कि समझौते की शर्तों में भरण-पोषण को लेकर क्या तय हुआ था।
दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 125 और आपसी तलाक
सीआरपीसी की धारा 125(1)(बी) के तहत, तलाकशुदा पत्नी भी पति से भरण-पोषण का दावा कर सकती है, बशर्ते उसने दोबारा विवाह न किया हो।
लेकिन, धारा 125(4) साफ कहती है कि अगर पति-पत्नी आपसी सहमति से अलग रह रहे हैं, तो पत्नी पति से भरण-पोषण की हकदार नहीं होगी।
न्यायिक फैसले:
- पोपट काशीनाथ बोडके बनाम कमलाबाई पोपट बोडके (2003): यदि पति-पत्नी आपसी सहमति से अलग हो गए हैं और भरण-पोषण का प्रावधान कर लिया है, तो पत्नी बाद में भरण-पोषण का दावा नहीं कर सकती।
- विट्ठल हीराजी जाधव बनाम हरनाबाई विट्ठल जाधव (2003): यदि समझौते के तहत अलग रहना तय हुआ है, तो पत्नी धारा 125 के तहत दावा खो देती है।
हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 25 और पत्नी का दावा
धारा 25(1) के तहत, तलाक की डिक्री के समय या बाद में भी पत्नी भरण-पोषण का दावा कर सकती है।
महत्वपूर्ण फैसला:
गीता सतीश गोकर्ण बनाम सतीश शंकरराव गोकर्ण (2004): कोर्ट ने माना कि भले ही पत्नी ने समझौते में लिखा हो कि वह भविष्य में भरण-पोषण नहीं मांगेगी, फिर भी अदालत धारा 25(1) के तहत भरण-पोषण दे सकती है।
इससे यह स्पष्ट होता है कि हिंदू विवाह अधिनियम पत्नी को अधिक सुरक्षा प्रदान करता है।
आपसी सहमति से तलाक और समझौते की शर्तों की भूमिका
जब पति-पत्नी आपसी सहमति से तलाक लेते हैं, तो एक सेटलमेंट एग्रीमेंट (समझौता) बनता है। इसमें यह स्पष्ट लिखा जाता है कि पत्नी को कितनी राशि भरण-पोषण के रूप में दी जाएगी – एकमुश्त (लंपसम) या मासिक आधार पर।
यदि समझौते में लिखा है कि पत्नी को स्थायी गुजारा भत्ता दिया गया है और उसने भविष्य के दावे छोड़ दिए हैं, तो वह आगे भरण-पोषण का दावा नहीं कर सकती।
लेकिन अगर समझौता मौन है या उसमें कोई स्पष्टता नहीं है, तो पत्नी बाद में अदालत में आवेदन कर सकती है।
किन परिस्थितियों में पत्नी दावा नहीं कर सकती?
- जब पत्नी को तलाक के समय एकमुश्त स्थायी गुजारा भत्ता मिल चुका हो।
- जब पत्नी ने स्पष्ट रूप से लिखा हो कि वह आगे कोई दावा नहीं करेगी।
किन परिस्थितियों में पत्नी दावा कर सकती है?
- जब तलाक के समय कोई स्थायी गुजारा भत्ता तय न हुआ हो।
- जब पत्नी ने अपना अधिकार सुरक्षित रखा हो।
- जब समझौते में भविष्य के भरण-पोषण का प्रावधान किया गया हो।
निष्कर्ष
तो, सवाल का उत्तर यह है कि – हाँ, पत्नी आपसी सहमति से तलाक के बाद भी भरण-पोषण का दावा कर सकती है, लेकिन यह इस बात पर निर्भर करेगा कि तलाक के समय समझौते में क्या शर्तें रखी गई थीं।
यदि पत्नी को स्थायी गुजारा भत्ता मिल चुका है और उसने भविष्य के दावे छोड़ दिए हैं, तो वह दावा नहीं कर पाएगी। लेकिन अगर समझौता इस मुद्दे पर चुप है, तो वह अदालत में आवेदन कर सकती है।
इसलिए, तलाक लेते समय समझौते की शर्तों को साफ और स्पष्ट रूप से लिखना बेहद ज़रूरी है, ताकि भविष्य में विवाद न हो।
FAQs
क्या आपसी सहमति से तलाक के बाद पत्नी धारा 125 सीआरपीसी के तहत दावा कर सकती है?
नहीं, यदि तलाक आपसी सहमति से हुआ है, तो धारा 125(4) पत्नी को भरण-पोषण का अधिकार नहीं देती।
क्या हिंदू विवाह अधिनियम पत्नी को तलाक के बाद भरण-पोषण का अधिकार देता है?
हाँ, धारा 25(1) के तहत पत्नी तलाक के बाद भी भरण-पोषण का दावा कर सकती है।
अगर तलाक के समय स्थायी गुजारा भत्ता मिल चुका हो तो क्या पत्नी फिर दावा कर सकती है?
नहीं, अगर उसने इसे पूर्ण और अंतिम समझौते के रूप में स्वीकार किया है, तो दावा नहीं कर सकती।
क्या तलाक के बाद पत्नी बच्चों के लिए भरण-पोषण मांग सकती है?
हाँ, बच्चों का भरण-पोषण अलग अधिकार है, जो पत्नी के अधिकार से स्वतंत्र है।
क्या मुस्लिम पत्नी आपसी तलाक के बाद भी भरण-पोषण का दावा कर सकती है?
हाँ, लेकिन यह मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकार संरक्षण) अधिनियम, 2019 के तहत नियंत्रित होता है।
क्या तलाक के बाद पत्नी कभी भी भरण-पोषण का दावा कर सकती है?
हाँ, हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 25 के तहत “कभी भी” आवेदन किया जा सकता है।
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